भोजली पर्व: ग्राम देवरी में परंपरा की धरोहर और एकता का उत्सव

ग्राम देवरी में मनाया गया छत्तीसगढ़ का लोकप्रिय पर्व भोजली, छत्तीसगढ़ की धरा पर अनेक लोक पर्व और त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है भोजली पर्व, जो ग्रामीण समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है। हर वर्ष श्रावण मास में इस पर्व को बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
भोजली पर्व का महत्व और उसकी परंपराएँ

छत्तीसगढ़ का भोजली पर्व एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक त्योहार है, जिसे धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष सावन माह के अंत में आयोजित होता है और इसका विशेष महत्व है। यह पर्व कृषि और हरियाली के साथ-साथ समाज की एकता और समरसता का प्रतीक है। इस दिन समाज की माता-बहनें अपनी भोजली के साथ माता चौरा में एकत्र होती हैं, जहां वे पारंपरिक पूजा-अर्चना करती हैं। पूजा के बाद भोजली को ठंडा करने के लिए सभी ग्रामीण बंधवा तालाब की ओर रवाना होते हैं। वहां भोजली को जल में प्रवाहित कर कार्यक्रम का समापन होता है।
इस वर्ष का आयोजन

ग्राम देवरी में इस वर्ष भोजली का आयोजन धूमधाम से हुआ। सभी माताएं और बहनें अपनी-अपनी भोजली के साथ माता चौरा में उपस्थित हुईं, और विधिवत पूजा-अर्चना के बाद भोजली ठंडा करने के लिए बंधवा तालाब के पास पहुंचीं। वहां, कबीर भवन के पास भोजली को इकट्ठा कर प्रोत्साहन के लिए इनाम वितरण किया गया।
सामाजिक एकता की आवश्यकता
हर पर्व या त्यौहार का एक मुख्य उद्देश्य सामाजिक एकता और सामूहिकता को बढ़ावा देना होता है। भोजली पर्व के माध्यम से समाज के लोग एक-दूसरे के करीब आते हैं और अपनी संस्कृति को संजोने का प्रयास करते हैं। इस अवसर पर समाज के लिए समाज की एकता, मान-सम्मान सर्वोपरि होता है। समाज के मुखिया को चाहिए की समाज की एकता बनाए रखे, और अपने व्यक्तिगत विचारों को समाज पर थोपने का प्रयास न करे, क्योंकि यह समाज के लिए हानिकारक हो सकता है।
समाज में जब तक सभी लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखते हैं, तब तक समाज प्रगति कर सकता है। भोजली जैसे पर्व इसी सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने का कार्य करते हैं।
युवा पीढ़ी की भूमिका
समाज की युवा पीढ़ी को विशेष रूप से यह ध्यान रखना चाहिए कि वे सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएँ, लेकिन उन्हें अपने सामाजिक कर्तव्यों का भी ध्यान रखना होगा। वर्तमान समय में देखा जा रहा है कि कई युवा दिग्भ्रमित हो रहे हैं और अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों से विमुख होते जा रहे हैं। ऐसे में भोजली जैसे त्यौहार युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने और उन्हें समाज की जिम्मेदारियों की याद दिलाने का अवसर प्रदान करते हैं।
युवाओं को चाहिए कि वे सामाजिक एकता और सद्भावना को बनाए रखें और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। समाज में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना ज़रूरी है, परंतु इस आवाज को सही दिशा में और सही ढंग से उठाना भी उतना ही आवश्यक है।
समाज की एकता को बनाए रखना केवल मुखिया की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर समाज के सदस्य की जिम्मेदारी है। समाज के किसी भी आयोजन का उद्देश्य होना चाहिए कि वह समाज को और भी मजबूत और एकजुट बनाए। समाज को चाहिए कि वह अपने पर्वों का उद्देश्य समझे और उसे हासिल करने के लिए मिलकर काम करे।
समाज के ठेकेदार लोग समाज को अपनी जागीर समझ कर अपना व्यक्तिगत फायदे के लिए समाज के मान सम्मान का परवाह न करते हुए गर्त में धकेल देते हैं।, एकदम सही लिखे हैं भैया ।
ekdam sahi bat
sab jagah yahi haal hai, enko koi fark nahi parega aap kitna bhi likh lo.
aap ne sahi bat likhi, ye bahut himmat ka kam hai bhiya. dekna sab aap ke virodhi ho jayeng. jiske liye asp lad rahe ho koi sath nahi deta. inhone samaj ko market bana diya.
yuva log sab pi kha ke mast rahe honge, kon bolega.
hamare yaha to sab chunav parchar chal gaya, tyohar kuch nahi sab apna mahol bana rahe bas, samaj ko nuksan karne walo ko bahar kar dena chaiye, jo pad me he wo sabse jada badmas he, sab bik jate he, samaj ka ni sochte.
समाज की समस्या को बहुत ही शानदार और निष्पक्ष तरीके से आपने रखा है नील भाई ।
आप ऐसे ही समाज के लिए अपने राय रखते रहिए निश्चित रूप से यह समाज हित में है।
ये लोग कभी नही सुधरेंगे, अपने फायदे के लिए समाज को बेच देना इनके लिए बिल्कुल साधारण सी बात है। समाज की मान मर्यादा क्या होती है इनको कोई लेना देना नही।